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मैं खूब समझता हूँ कि जो लोग कठोर आलोचक हैं वे मेरी आत्मकथा में इस स्थान पर अधीर होकर बोल उठेंगे, “इतना फुलाकर- अतिरंजित करके आखिर, बाबू, तुम कहना क्या चाहते ...